परमार वंश भारतीय इतिहास में मध्यकालीन काल के वंशों में से एक है। भारतीय इतिहास में खासतौर पर छत्तीसगढ़ में परमार वंश का काफी समय तक राज रहा है। एतिहासिक साक्ष्यों के मुताबिक यह वंष 9वीं से 14 वीं सदी तक मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ इलाकों में सफलता पूर्वक राज करते रहे। परमार वंश, जिसे प्रतिहार वंश भी कहते हैं, एक मध्यकालीन भारतीय वंश था, जो 9वीं से 14वीं शताब्दी तक उत्तर भारत के कुछ हिस्सों पर शासन करता था। परमारों की असली उत्पत्ति अनिश्चित है, लेकिन कुछ सिद्धांतों के अनुसार, वे मध्य एशियाई या स्किथियन मूल के थे और प्राचीन काल में भारत आए थे।
परमार वंश के संस्थापक
परमार वंश के संस्थापक राजा बाप्पा राव थे। वह मालवा में स्थानीय शासक थे
और उन्होंने अपने शासनकाल में बहुत सारे शिलालेखों और मंदिरों का निर्माण करवाया था।
परमार वंश के राजाओं के नाम
परमार वंश के कुछ प्रसिद्ध राजाओं के नाम हैं - बाप्पा राव, सिंहन विक्रम, समरसिंह, जयसिंह, नरसिंह और उदयादित्य वर्मा।
परमार वंश की कुलदेवी
परमार वंश की कुलदेवी माँ शक्ति को माना जाता है।यह देवी दुर्गा का ही रूप है परमार वंश के राजाओं की देवी दुर्गा कुल देवी होती थी । इस वंश में यू तो कई राजा हुए मगर प्रमुख राजाओं का जिक्र इस प्रकार हैं ।
परमार वंश के प्रसिद्ध शासक भोज के बारे में
परमार शासक भोज कहां के रहने वाले थे? परमार वंश के शासक भोज मालवा में रहते थे। उनका शासनकाल 1010 ईसा पूर्व से 1055 ईसा पूर्व तक चला था।
परमारों के प्रारंभिक शासक मध्य भारत के मालवा के स्थानीय नायक थे, और उन्होंने अपनी शक्ति और प्रभाव को बढ़ाया और राज्य की स्थापना की। परमारों का प्रभाव 9वीं शताब्दी में भोज के शासनकाल में अधिक दिखने लगा, जो वंश के संस्थापक माने जाते हैं। भोज के उत्तराधिकारी उपेंद्र थे, जो परमार क्षेत्र का विस्तार करते हुए उनकी शक्ति को समेटते थे।
वक्त के साथ, परमार वंश अपनी सेना और राजनीतिक कुशलता के माध्यम से उत्तर भारत के अन्य क्षेत्रों में अपना नियंत्रण करने में सफल रहे।
परमार वंश के पहले कौन सा वंश था ?
परमार वंश से पहले, भारत में कई अन्य राजवंश मौजूद थे। इन राजवंशों का सटीक कालक्रम और इतिहास के बारे में जानकारी इतिहासकारों के पास मौजूद नहीं हैं क्योंकि भारत का एक समृद्ध और जटिल इतिहास है। फिर भी साक्ष्यों के आधार पर परमारों से पहले मौजूद कुछ प्रमुख राजवंश रहें हैं जो इस प्रकार हैं -
राष्ट्रकूट राजवंशः
राष्ट्रकूट वंश एक शाही भारतीय राजवंश था जिसने 6वीं से 10वीं शताब्दी तक भारतीय उपमहाद्वीप के बड़े हिस्से पर शासन किया था। उनके साम्राज्य में वर्तमान महाराष्ट्र, वर्तमान कर्नाटक के कुछ हिस्से और वर्तमान तमिलनाडु के उत्तरी हिस्से शामिल थे।
गुर्जर-प्रतिहार राजवंश
गुर्जर-प्रतिहार राजवंश एक मध्यकालीन भारतीय राजवंश था जिसने 7वीं से 11वीं शताब्दी तक उत्तरी और मध्य भारत के एक बड़े हिस्से पर शासन किया था। वे अपने सैन्य कौशल और प्रशासनिक कौशल के लिए जाने जाते थे।
चालुक्य वंशः
चालुक्य वंश एक प्राचीन भारतीय राजवंश था जिसने 6वीं से 12वीं शताब्दी तक दक्षिणी और मध्य भारत के कुछ हिस्सों पर शासन किया था। वे कला और वास्तुकला के संरक्षण और कन्नड़ भाषा के विकास में उनके योगदान के लिए जाने जाते थे।
पाल वंशः
पाल वंश एक भारतीय राजवंश था जिसने 8वीं से 12वीं शताब्दी तक पूर्वी भारत के बंगाल क्षेत्र पर शासन किया था। वे बौद्ध धर्म के संरक्षण और दक्षिण पूर्व एशिया में बौद्ध धर्म के प्रसार में उनकी भूमिका के लिए जाने जाते थे।
इस प्रकार कुछ राजवंशों ने परमारों से पहले भारत में शासन किया था ।