महाराजा हमीर देव के बारे में शिवकुमार पाण्डेय की समृद्ध बस्तर और रूद्रनारायण पानीग्राही की किताब बस्तर के महानायक और महत्वपूर्ण विद्रोह में मिलता है। इन किताबों में मिली जानाकरी और साक्ष्य के आधार पर पता चलता है कि हमीर देव अन्नमदेव का पुत्र था। और अन्नमदेव के बाद वह 1369 ई. में सिंहासन पर बैठा। हमीर देव ने आक्रमक नीतियों का पालन किया और राज्य विस्तार किया । उसने अपनी राज्य सीमा का विस्तार किया । वह अपने दुश्मन को बड़े ही बेरहमी मारता था। रूद्रनारायण पानीग्राही लिखते हैं कि यही कारण है कि जब भी वह युद्ध के निकलता तो दुश्मन सेना पहले ही डर जाती थी।
उसने उड़िसा के पाटन राज्य को जीत लिया । कहा जाता है कि हमीरदेव ने अपने पुत्र भयराजदेव अथवा भैरवदेव का विवाह पाटणा के राजा वत्सराज की पुत्री पद्मा के साथ किया था।
33 वर्ष की आयु में हमीर देव राजा बना और 31 वर्षों तक राज्य किया। उनकी रानी का नाम था राम कुंवर अथवा श्याम कुंवर बघेलिन । बस्तर के चालुक्य वंश के अभिलेखों में इस बात की जानकारी मिलती कि हमीर देव अपने पुत्री का विवाह कोषकण्ड की राजकुमारी मेघाई कुंवर अथवा मेघावती से किया था तथा उनकी दूसरी पत्नी जानकी कुंवर सुकमा जमींदार के परिवार से थी।
कहा जाता है कि मेघावती सुगठित शरीर की मालकिन थी, बचपन से ही शिकार की शौकीन तथा कुशल शिकारी थी। कोषकण्ड के राजा ने बस्तर के राजा से पराभूत होकर भैरवदेव के साथ मेघावती का विवाह किया था।
इस मेघई रानी की स्मृति स्वरुप अनेक वस्तुएं आज भी विद्यमान है जिनमें से एक उनके शिकार के दौरान उपयोग में लाई गई कालबान बंदूक सुरक्षित रखा गया है। इसे भी पढ़िए!
बस्तर के चालुक्य वंश का इतिहास
महाराजा हमीर देव
7/05/2024
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