प्रसिद्ध लोक गायिक बिहार की स्वर कोकिला शारदा सिन्हां का निधन हो गया है। उनका निधन 4 नवम्बर को सुबह 9. 20 मिनट पर हो गया राजकीय सम्मान के साथ शारदा सिन्हां का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। अपने छठ गीतों के लिए शारदा सिन्हा ने अच्छी प्रसिद्ध हासिल की है। उन्हें पद्म श्री और पद्म भूषण से नवाजा गया था। शारदा सिन्हा 2017 से कैंसर से जूझ रही थीं
बता दें कि उनके बेटे अंशुमन ने पिछले दिनों वीडियो शेयर कर मां का हाल खुलकर बताया था। हालांकि, उन्होंने तब कहा था कि मां की हालत ठीक है और वो वेंटिलेटर पर नहीं हैं। उन्होंने तब लोगों को गलत खबरें न फैलाने की रिक्वेस्ट की थी। इसी दौरान उन्होंने मां की बीमारी के बारे में भी बातें की थी इसके अलावा फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर पार्ट 2 से तार बिजली और बॉलीवुड फिल्म चारफुटिया छोकरे से कौन सी नागरिया गाना भी शारदा सिन्हा ने ही गया था। शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को बिहार में हुआ था। शारदा सिन्हा एक भारतीय लोक और शास्त्रीय गायिका हैं। बिहार से ताल्लुक रखने वाली, वह मुख्य रूप से मैथिली और भोजपुरी भाषा में गाती हैं। 1991 में, उन्हें संगीत में उनके योगदान के लिए पद्म श्री पुरस्कार मिला। उन्हें 2018 में गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत के तीसरे सर्वाेच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। वह छठ पूजा के दौरान नियमित रूप से नृत्य प्रस्तुत करती हैं। मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम जब बिहार आए थे, तब भी उन्होंने नृत्य प्रस्तुत किया था। लोक गायिका शारदा सिन्हा ने 2016 में छठ पर दो नए गाने लेकर आई हैं। भक्ति गीतों का उनका आखिरी एल्बम 2006 में रिलीज हुआ था। गानों में - सुपावो ना मिले माई और पहिले पहिल जैसे बोल हैं। छठ पर्व पर खूब बजते हैं उनके गाने
छठी मैया-शारदा छठ के दौरान लोगों से बिहार आने का आग्रह कर रही हैं. त्योहार के दौरान बजाए जाने वाले अन्य छठ गीतों में केलवा के पात पर उगलन सूरज मल झाके झुके, हे छठी मईया, हो दीनानाथ, बहंगी लचकत जाए, रोजे रोजे उगेला, सुना छठी माई, जोड़े जोड़े सुपावा और पटना के घाट पर शामिल हैं। हालांकि ये गाने पुराने हैं, फिर भी प्रासंगिक हैं और भक्त इन्हें हर साल बजाते हैं।
3 नवंबर 2016 को शारदा ने द टेलीग्राफ को बताया, म्यूजिक कंपनियों की मनमानी और अच्छे गीतों की कमी ने मुझे इतने समय तक दूर रखा था। इस साल जब इन मुद्दों पर ध्यान दिया गया, तो मैंने गानों को अपनी आवाज़ दी। गाने को शूट करने में 20 दिन लगे, जिन्हें दिवाली पर रिलीज़ किया गया।
सुपावो ना मिले माई (5.57 मिनट) के गीतकार हृदय नारायण झा हैं और पाहिले पाहिल छठी मैया (6.57 मिनट) शांति जैन और शारदा दोनों। पाहिले पाहिल... - नीतू चंद्रा, नितिन नीरा चंद्रा और अंशुमान सिन्हा द्वारा निर्मित - स्वर शारदा (शारदा सिन्हा संगीत फाउंडेशन), चंपारण टॉकीज के बैनर तले रिलीज किया गया है। और नियो बिहार। सुपावो ना मिले माई को स्वर शारदा के बैनर तले रिलीज़ किया गया है और अंशुमान द्वारा निर्मित किया गया है।
जानते हैं कौन है शारदा सिंन्हा?
अगर 1989 में आई सूरज बड़जात्या की फिल्म मैने प्यार किया आपने देखी होगी तो एक गीत याद होगा जिसके बोल थे काहे तो से सजना
इस गाने ने उस जमाने में धूम मचा दिया था। इसकी गायिका थी शारदा सिन्हा।
तीजन बाई के बारे में जानिए !
तीजन बाई Teejan Baiजन्म और प्रारंभिक जीवन
शारदा सिन्हा का जन्म बिहार के सुपौल जिले के हुलास में हुआ था। उनका ससुराल बेगूसराय जिले के सिहमा गाँव में है। उन्होंने मैथिली लोकगीत गाकर अपने करियर की शुरुआत की। सिन्हा भोजपुरी, मैथिली, मगही और हिंदी में गाती हैं। प्रयाग संगीत समिति ने इलाहाबाद में बसंत महोत्सव का आयोजन किया जहाँ सिन्हा ने वसंत ऋतु की थीम पर आधारित कई गीत प्रस्तुत किए और उन्हें बिहार कोकिला, बिहार की कोयल कहा जाता है। सिन्हा ने विवाह गीत, छठ गीत जैसे कई क्षेत्रीय गीत गाए हैं।
कई पुरस्कार जीते हैं शारदा सिन्हा ने
छठ का पर्याय बन चुकीं
एक इंटरव्यू में कही है ये बात
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छठ पर्व
Sharda Sinha शारदा सिन्हा
11/05/2024
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