बात एक ऐसे अफगान शासक शेरशाह सूरी की जिसने देश को 16 वीं सदी में दो चीजे दी जिसका उपयोग आज भारत ही नहीं पड़ौसी देश भी कर रहें है। वह है रूपया जी हां उसने भारत की मुद्रा रूपया दिया और दूसरा है एक लंबी सड़क जिसे आधुनिक समय में जीटी रोड यानि ग्रैंड ट्रंक रोड के नाम से जानते हैं। शेरशाह सूरी वह शासक था जिसने मुगल सम्राट हुमायु को भी हरा दिया और शेरशाह सूरी के कारण ही मुगल शासक हुमायु 15 साल तक भारत से बाहर रहा । इसका नाम भारतीय इतिहास में उस वक्त आया जब कनौज की लड़ाई में उसने मुगल बादशाह हुमायु को हराया था। कनौज की लड़ाई 17 मई, 1540 को हुमायु और अफगान शासक शेरशाह सूरी के बीच लड़ी गई थी। सुल्तान शेर शाह सूरी को 16वीं शताब्दी में रुपिया के नाम से जाना जाने वाला चांदी का सिक्का जारी करने का श्रेय दिया जाता है। रुपिया आधुनिक रुपये का अग्रदूत था और लंबे समय तक इस्तेमाल में रहा।
शेर शाह सूरी कौन थे?
शेर शाह सूरी एक अफ़गान शासक थे। उनका जन्म वर्तमान बिहार, भारत में सूर जनजाति के एक अफ़गान पश्तून परिवार में फ़रीद ख़ान के रूप में हुआ था। उनके पिता हसन ख़ान बिहार के शासकों के अधीन सेवा करने वाले एक जागीरदार (ज़मींदार) थे।
शेरशाह सूरी एक कट्टर सुन्नी मुसलमान थे और शासन और प्रशासन में इस्लामी सिद्धांतों का पालन करते थे। उनका शासनकाल अपनी निष्पक्षता, प्रशासनिक सुधारों और न्याय को बढ़ावा देने के लिए उल्लेखनीय है, जो इस्लामी मूल्यों से प्रभावित थे।
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कनौज की लड़ाई
शब्द रुपया संस्कृत शब्द रूपी से आया है, जिसका अर्थ है चांदी या चांदी से बना। शब्द रूपी संज्ञा रूपा से लिया गया है, जिसका अर्थ है आकार, समानता, छवि।
रुपिया के बारे में कुछ अन्य विवरण इस प्रकार हैं
रुपिया का वजन 178 ग्रेन या 11.53 ग्राम था।
शेर शाह सूरी ने मोहर नामक सोने के सिक्के और दाम नामक तांबे के सिक्के भी जारी किए।
रुपिया मुगल काल, मराठा काल और ब्रिटिश भारत के दौरान उपयोग में रहा।
पहले कागजी रुपए बैंक ऑफ हिंदुस्तान (1770-1832), जनरल बैंक ऑफ बंगाल एंड बिहार (1773-1775) और बंगाल बैंक (1784-91) द्वारा जारी किए गए थे।
ग्रांड ट्रंक रोड (जीटी रोड)
यह भी शेरशाह सूरी की ही देन है जो 16 सदी से आज तक जिसका उपयोग भारत और उसके पड़ौसी देश आज भी कर रहें है। आईए समझते हैं इस रोड के बारे में यह दक्षिण एशिया की सबसे पुरानी और सबसे लंबी सड़कों में से एक है, जिसकी जड़ें प्राचीन काल से जुड़ी हुई हैं। मूल रूप से प्रमुख व्यापार और सांस्कृतिक केंद्रों को जोड़ने के लिए निर्मित, इसे 16वीं शताब्दी में शेर शाह सूरी के शासनकाल के दौरान और विकसित किया गया था। यह सड़क सदियों से एक महत्वपूर्ण व्यापार और संचार मार्ग के रूप में काम करती रही है और आज भी एक महत्वपूर्ण मार्ग बनी हुई है।
सड़क की लंबाई
आधुनिक ग्रांड ट्रंक रोड लगभग 2,400 किलोमीटर (1,500 मील) तक फैली हुई है।
मार्ग और मार्ग
यह सड़क आज भी चार आधुनिक देशों से होकर गुजरती है
1. बांग्लादेश, चटगाँव और ढाका के पास से शुरू होती है।
2. भारत कोलकाता, कानपुर, दिल्ली और अमृतसर से गुज़रता हुआ।
3. पाकिस्तान लाहौर, रावलपिंडी और पेशावर से गुज़रता हुआ।
4. अफ़गानिस्तान काबुल तक फैला हुआ।
ऐतिहासिक रूप से, यह पूर्व में सोनारगाँव जैसे प्रमुख शहरों को पश्चिम में काबुल से जोड़ता था, जो व्यापार, सैन्य और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए एक रणनीतिक मार्ग के रूप में कार्य करता था।
अब इस सड़क को क्या कहा जाता है?
इस सड़क का ऐतिहासिक महत्व बरकरार है और इसे आमतौर पर दक्षिण एशिया में जीटी रोड के रूप में जाना जाता है। कुछ हिस्सों में, इसे आधुनिक राजमार्ग नेटवर्क में शामिल किया गया है, जैसे कि भारत में एनएच 19 और एनएच 44, और यह पाकिस्तान की राष्ट्रीय राजमार्ग प्रणाली का हिस्सा है।
ग्रैंड ट्रंक रोड का महत्व
ग्रैंड ट्रंक रोड ने पूरे इतिहास में विविध क्षेत्रों को एकजुट करने, व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और राजनीतिक नियंत्रण को सक्षम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मौर्य साम्राज्य, शेरशाह सूरी के शासनकाल और ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान यह महत्वपूर्ण भूमिका में था।
आज भी, जीटी रोड एक व्यस्त राजमार्ग है, जो दक्षिण एशियाई उपमहाद्वीप के परस्पर जुड़े इतिहास और साझा विरासत का प्रतीक है। इसकी स्थायी विरासत क्षेत्र के सांस्कृतिक और आर्थिक परिदृश्य को आकार देने में इसके महत्व का प्रमाण है।
रूपया का इतिहास
1/11/2025
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