बात बीटिंग रिट्रीट की है जो एक सैन्य परंपरा के तहत गणतंत्र दिवस की विदाई पर आयोजित होती है। इसमें एक धुन अनिवार्य रूप से बजाई जाती थी जो महात्मा गांधी के पसंदीदा धुन थी इसके बोल थे अबाईड विद मी। एंग्लिकन Henry Francis Lyte ने 1847 में अपने अखिरी दिनों में यह गीत लिखा था । उनकी मौत ट्यूबरक्लोसिस से हुई थी ।
खैर इस बार बीटिंग रिट्रीट में उनके लिखे गीत के धुन अबाईड विद मी (abide with me) नहीं बजेगा । यह सच है कि 1950 से लगातार इस धुन को इस समारोह में बजाया जाता रहा है। इस बार 26 धुन बजेंगें और वे सभी भारतीय होगें । जिसमें अबाईड विद मी (abide with me) का नाम नहीं है।
तो क्या बजेगा ?
सरकार ने इसे अब बदल दिया है। अपने अधिकारिक धुनों की लिस्ट से अबाईड विद मी को हटा कर अब इसके स्थान पर कवि प्रदीप का लिखा ए मेरे वतन के लोगों बजने वाला है। जाहिर भारतीय जनमानस इस धुन को अच्छे से समझे पाएंगें । कवि प्रदीप जिन्हें दादा सहाब फाल्के पुरस्कार अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में मिला था। और उनकी रचनाएं काफी प्रसिद्ध हैं , उन्होंने भारतीय सिनेमा के लिए भी कई अमर गीत लिखे हैं जो आज भी गाए जाते हैं ।
बिटिंग रिट्रीट (beating Retreat )क्या है?
यह एक सैन्य परम्परा है जिसकी शुरूआत 17 वीं सदी में हुई थी। जब किंग जेम्स द्वितीय ने लड़ाई खत्म होने के बाद सैनिकों को ड्रम, बजाने, झंडा झुकान और परेड करने का order दिया था। इसे एक तरह से जंग की उठापठक के बाद शांति मार्च कह सकते है। जिसे सकुन पहुँचाने के लिए किया जाता था।
उस समय इसे वाच सेटिंग कहते थे जिसे सूर्यास्त के समय सिंगल राउण्ड फायरिंग के साथ आरम्भ करते थे।
26 जनवरी को लेकर अगर समझें तो यह गणतंत्र दिवस का अधिकारिक समापन समारोह है जिसे हर साल विजय चौक से 29 जनवरी को किया जाता है। इसमें धुनें और परेड होती है। मगर, 15 अगस्त समारोह के लिए इस तरह की कोई परंपरा नहीं है।